सोमवार, 3 मई 2010

मनुखक पहचान

की इ नहि अछि अज्ञान? जे कएक बेर लोक करैत अछि
मनुखक, किछु एहि तरहे पहचान ---
की जखन एकरा दिअड आश्रय, तऽ खुशामद बुझैत अछि
जखन एकर करू उप्कार, तऽ खुशामद बुझैत अछि
जखन एकरा दिअड उपदेश, तऽ मुँह फेरैत अछि
जखन एकर करू आदर, तऽ अस्वीकार करैत अछि
जखन एहि पर करू विश्‍वास, तऽ अस्वीकार करैत अछि
जखन एहि पर करू विश्‍वास, तऽ विश्‍वासघात करैत अछि
जतय देखैत स्वसुख, ओकरे लेल संग्राम करैत अछि
जखन दुखक काल अछि अबैत, तऽ बहाना ढुँढ़ैत अछि
जखन एकरासड करू प्यार तऽ आघात करैत अछि
जखने होबय स्वार्थपूर्त्ति, तऽ छोड़ि चलि जायत अछि
मोनमे राखल अरमान के तोड़ि चलि जायत अछि
मुदा बंधु, इ कियक नहि बुझैत छी जे ईएह मनुख
जीवैत अछि, किछु एहि तरहे पहचान
जे इ मनुत्व, जे अछि मनु केर संतान
मानवता-कल्याणक लेल जाहिमे अछि अटल अभियान
कएक वर्ष सँ भेटल धरोहर, जाहि पर अछि बड्‌ड गुमान
कोना अहिना हेरा सकैत अछि निज तनमे रहैत प्राण
मनुख, मनुखक, जे करय सतत सम्मान
तऽ बढि जाय ओकर, मानवताक पहचान
जदि नीक होवय उदेश्य, लक्ष्य प्राप्ति होवय अरमान
तऽ सतत्‌ परिश्रमसँ, होवय कठिन काज आसान
ईश्‍वर होथु सहाय, मंगलमय होवय जन-गण-मन
अपन सत्कर्मसँ, नित्य निखारू जन-जीवन ।

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