गुरुवार, 29 अक्तूबर 2009

मंगलवार, 6 अक्तूबर 2009

सामाजिक परिवर्तनक संदर्भमे मैथिलीक दशा ओ दिशा


साहित्यिक काज समाजक यथार्थ चित्रण होयत अछि । हमरा बुझवामे मैथिली साहित्य एकरासँ वंचित अछि । मैथिली साहित्यमे सामाजिक परिवर्तनक स्वर किछु आलेखमें भेटैत अछि मुदा एहि तरहेँ साहित्यिक चित्रण पुरातनवादी रचाकार लोकनिकेँ नहि पचैत अछि । वैश्‍वीकरणक प्रभाव मैथिली साहित्य पर सेहो पड़ैत अछि । मैथिली पत्रकारिताक सिद्धान्तक निर्वहनकेँ फूसि दंभ भरयवला जे कहबालेल सबहक बात करैत अछि एहि सिद्धान्त पर चलबाक साहक किनकोमे नहि छैन्ह । पटना सँ प्रकाशित समय-साल नामक मैथिली द्वैमासिक पत्रिकाक अस्तित्व दीर्घजीविताक लेल मसाला पर टिकल अछि । एहि तरहक साहित्य सृजन दुकानदारहिटा मात्र अछि । दलविशेषसँ प्रभावित रचनाकार ओ संपादकक लेखनी एखनहुँ ओकर चक्रव्यूहकें तोड़वामे समर्थ नहि अछि । हिन्दीमे दलित साहित्यिक सुजन नीक जकाँ भऽ रहल अछि मुदा मैथिली साहित्य एखनहुँ एकरासँ परिपूर्ण नहि भऽ सकल अछि जखन एहि वर्गकचर्चा मैथिलीमे नहि हेतैक तखन एहि उपेक्षिक वर्गक समर्थक भाषायी समृद्धिक लेल कोना जुड़त ? गामघरमे सर्वहारा मजदूर लोकनि ओ कथित छोटका जातिक प्राणिये एहि भाषाके वास्तवमे जियाकऽ रखने अछि । मैथिली अकादमीसँ प्रकाशित ओ डॉ. मंत्रेश्‍वर झा द्वारा रचित कविता संग्रह अनचिन्हार गाम मे एकर झलक दृष्टिगोचर भेल मुदा एकर बादक रचनामे एहि दृष्टिकोणक सर्वथा अभाव भऽ गेल अछि । समाजमे आइ मैथिलीक संदर्भमे प्रचलित अछि जे इ ब्राह्मणक भाषा थिक मुद्दा ओ गप्प दुष्प्रचारटा मात्र अछि । एकटा गंभीर पाठकक रूपमे हम जनैत छी जे जियाउर रहमान जाफरी कैसर रजा, मंजर सुलैमान, मेघन प्रसाद, महेन्द्रनारायण राम, देवनारायण साह, अच्छेलाल महतो, सुभाषचन्द्र यादव, महाकांत मंडल, अभय कुमार यादव, बुचरू पासवान, हीरामंडल, सुरेन्द्र यादव शिवकुमार यादव, बिलट पासवान विहंगम आदि अपन साहित्य सृजनतासँ मैथिली साहित्यके समृद्धि प्रदान करबा लेल सक्रिय छथि । पटनामे मैथिलीक समर्पित संस्था चेतनासमितिकेँ दलित महिला अमेरिका देवी ओ तिलिया देवीक सम्मानक माने की अछि ? वास्तवमे मैथिली भाषायी क्षेत्रक दलित महिलाक सम्मानसँ दलित दर्गक भाषा-भाषी लोकनिक समर्थन अवश्‍ये भेटत । एहि प्रयासकें अन्य संस्थाकें अपनैबाक आवश्यकता अछि । कतेक आश्‍चर्यक गप थिक जे नोबेल पुरस्कारक चयन समितिकें एहि वर्गक कृतित्व ओ व्यक्‍तित्व पर खुजल नजर अछि मुदा मिथिलाओ मैथिलीक संस्था एहि विषय पर आँखि मुनने अछि । बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषदक अध्यक्ष डॉ. किशोर कुणाल एहि विंदु पर केन्द्रित भक दलित देवो भव पुस्तकक रचना कयलनि जकर मैथिली अनुवाद होयबाक चाही । मैथिली साहित्यक बहुआयामी प्रतिभाक उपन्यासकार, कवि, नाटककार आ एहि साहित्यकेँ अपन अपरिमित साहित्यिक रचनाएँ उर्वर बनौनिहर डॉ. ब्रजकिशोर वर्मा मणिपद्म अपन विविध रचना ओ स्वभावगत विशिष्टताक कारणे अत्यंत लोकप्रिय भेलाह । हुनक लोकगाथात्मक उपन्यास मिथिलाक लोकसंस्कृतिकेँ समेटने अछि । लोकिक विजय, नैका बनिजारा, रायराणपाल, राजा सलहेस, लवहरि-कुशहरि, दुलरा दयालक रचना कय मैथिलीक सर्वाणीण विकास, भाषायी समृद्धता ओ लोकप्रियताके बढ़यबामे अपन अविस्मरणीय योगदान देलनि । हुनक उपन्यासक वातावरण किंवा विषयवस्तुमे ओ एहन पात्रक जीवन परिचायक प्रदर्शन कएलन्हि जे अपन-अपन वर्ग समुदाय ओ वर्ण व्यवस्थाक अंतर्गत जीवनयापन करबामे महत्वपूर्ण स्थान रखैत अछि । नैका बनिजारामे वर्णिक समाजक व्यापकतातँ अछिए संगहि धोबी, हजाम, ब्रह्मण, क्षत्रिय आदिक उल्लेख सेहो भेल अछि । राजा सलहेसमे दुसाघक शौर्यगाथाक वर्णन कएने छथि । लवहरि-कुशहरिमे ब्राह्मण द्वारा पूजा-पाठक विधा ओ मील-मलाह आदिक चर्चा सेहो भेल अछि । वीर क्षत्रिय राय रणपालक कथासँ सम परिचिते छी । समाजमे धनी ओ गरीबमे की अंतर अछि, तकर सूक्ष्म परण मणिपद्मजीकेँ छलन्हि । ग्रामीण जीवनयापनकेँ कारणे हुनक लेखनीमे ग्राम्यसमाजक मर्मज्ञता दृष्टिगत होयत अछि । अट्टालिकामे रहनिहार झुग्गी-झोपड़ीमे रहि कए जे चित्रण झोपड़ीक करताह ताहिमे अंतर निश्‍चित होयत मणिपद्मक रचनाक पात्र यादव, दुसाघ, मलाह, चमार, धोबी, वाणिक आदि चुनलैन्हि तकर कारण सामन्ती शोषणक धोर विरोधी हुनक मानसिकता ओ स्वातंत्र्य प्रेम छल । सामाजिक संरचनाकेँ दृष्टिमे राखि मैथिलीक अपूर्ण भंडारकेँ पूर्ण करबाक सफल प्रयास कयनिहार मणिपद्मक बाद के छथि ? वर्त्तमानमे मैथिलीमे हुनक विलक्षण लेखनशैली, कथामे पात्रक सार्थक निर्वहन ओ भाषाक व्यवस्थित रूप किंचित नहि भेटैत अछि । आइ हुनक शैलीकेँ प्रेरणाश्रोत मानि लेखनी उठयबाक पहलक आवश्यकता अछि । वर्त्तमानमे मणिपद्मक नुकायल, बिसरायल कृतिक पुर्नप्रकाशनक लेल कर्मगोष्ठी, कोलकाताकेँ योगदान प्रशंसनीय अछि । मैथिली प्रकाशकक जिम्मेवारी छनि जे एहि विषयवस्तुकेँ ध्यान राखि ओहन विधाक प्रकाशन करय जकर अभाव थिक । आजुक मैथिलीप्रेमी लोकनिक ध्यान सरगर गीत, नाटक, व्यंग्य ओ शोधपूर्ण आलोचना विधाकेँ प्रति बेसी आकृष्ट भऽ रहल अछि । मैथिलीके लोकप्रिय बनयबाक अभियानमे किछु रचनाकार लागि गेल छथि । आजुक युवावर्गक नब्जकेँ चिन्हबाक उपरान्त हालहिमे मधुकान्त झाक लटलीला बहराएल अछि । निश्‍चित रूपे एहि कदमसँ मैथिलीक पाठकमे वृद्धि हेतैक । वास्तवमे आइ दूएटा वस्तुक बिक्री बेसी अछि- धर्म ओ काम । धर्मपर मैथिलीमे बेसी रचना भऽ रहल अछि मुदा काम पर एखन धरि दुःसाहस कियो रचनाकार नहि कयलनि । आजुक सन्दर्भमे समाजक सही चित्रण वार्त्तालापकें रुपमे लटलीलामे कयल गेल अछि । हालाँकि एकर सभ रचना पटनासँ प्रकाशित समय साल पत्रिकामे लतिकाक छद्‌म नामसँ पूर्वहिमे छवि चुकल अछि । एहि आलेखक प्रसंगमे पं. चन्द्रनाथमिश्र अमरक कहब उल्लेखनीय अछि- एहि माध्यमसँ बहुतोक सड़ल अंतरीक दुर्गन्ध बाहर आबि गेल अछि । यथार्थ नामपर नग्नताकें हम पचा नहि पबैत छी । रूढ़िवादिता, अंधविश्‍वास, छूआछूत ओ संकीर्ण मानसिकताकें विरूद्ध ध्यानमे रखैत आइ मैथिलीमे लेखन होयबाक चाही । स्व. राजकमल चौधरी ओ स्व. प्रभास चौधरीक कृतिकें प्रतिबिम्ब नहि भेटैत अछि । व्यवस्थाक प्रति विद्रोहक स्वर जाहि लेखनमे होयत ओकर स्वागत होयबे करत । आजुक पाठकक मानसिकता बदलैत समयकेँ अनुसारे बदलि रहल अछि । एकर मूल कारण सामाजिक परिवर्तन अछि । एहि परिवतनकेँ दृष्टिमे रखैत जे लेखन नहि होयत ओकरा आजुक पाठक नकारि देत । स्व. हरिमोहनझाक कृति एकर सबसँ पैघ उदाहरण अछि । रसगर, चहटगर, हास्य-व्यंग्य ओ उपेक्षित वर्गक स्वर मैथिली साहित्यमे अनुगूंजित होयत त ओकर लोकप्रियता आ माँग दुनू उत्तरोत्तर बढत. पुरान भाषायी शैलीक स्थान पर नवतुरिया रचनाकारक आलोचनात्मक लेखनकेँ प्रोत्साहन भेटबाक आवश्यकता थिक । गौरीनाथ, अविनाश, पंकज पराशर, श्रीधरम, विमूति आनंद, अमरनाथ, देवशंकर नवीन, मंत्रेश्‍वर झा, प्रदीप बिहारी आदिक रचना एहि वर्गक प्रतिनिधित्व करैत अछि । संक्षेपमे कहल जायतँ मैथिलीक सर्वागीण विकास तखने होयत जखन एकर सभ विधा पर रचना होयत । एखन धरि किछु विधा पर बेसी रचना भऽ रहल अछि मुदा दोसर विधा पर अत्यंत अल्प । एहि तरहे मैथिलेक व्यापकता ओ लोकप्रियता स्वप्नहि बुझना जाइत अछि । मैथिलीमे स्वादक अनुसारे रचनाक ढ़ालय पड़तनि तखने ओकरा सही दिशा भेटत ओ दशा सुधरत । वर्त्तमानमे एहि लेल सबसँ बेसी सक्रिय संस्था भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर ओ साहित्य अकादमी दिल्ली तथा स्वाति फाउंडेशन (प्रबोध-साहित्य सम्मान) आदिक मैथिलीक संवर्धन हेतु प्रयास सराहनीय अछि ।
-गोपाल प्रसाद gopal.eshakti@gmail,com

गुरुवार, 1 अक्तूबर 2009

मिशन मिथिला


मैथिली भाषाक प्रेमी आब बिहारे नहि मुदा दिल्ली ,मुम्बई, कोलकाता जकाँ महानगरमे सभसँ बेसी अछि । मिथिलाक निवासी लोकनिक ह्रदयमे पहुनक सत्कारक लेल सभसँ पैघ स्थान अछि । मिथिला अपन मधुरतम भाषा मैथिली आ अपन अनमोल कला -संस्कॄति यथा मिथिला पेंटिंग्स आदिक लेल अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अछि। मिथिला अपन शांत वातावरण ,शांतिप्रियता ओ कुशाग्र बुद्धिमानकेँ जन्म देवय्वलक भूमि रहल अछि ।मिथिलाक प्राचीन वैदिक परंपरा जगत प्रसिद्ध अछि । मिथिलाक पंडित लोकनिक शास्त्रार्थक इतिहासमे अनेक ठाम वर्णन अछि । मिथिलाक प्राचीन कला , सभ्यता, ओ संस्कॄति पर विश्वमे तेजी सँ शोध भ रहल अछि । समस्त मिथिलावासी लोकनिकेँ अपन मिथिला भूमिकेँ प्राचीन परंपरा पर अभिमान अछि। दुखक विषय इ अछि जे ए क्षेत्र सेहो आधुनिकताक चपेटमे आबि चुकल अछि। बदलाबक आँधीक प्रभाव एहि तरहे परल अछि जे लोक अपन प्राचीन समॄद्ध परंपराकेँ बिसरैत जा रहल अछि। संरक्षणक शक्तिएसँ हमरा लोकनि अपन बचाव क सकैत अछि। जदि एहि दिस ध्यन नहि देल गेल तँ प्राचीन मूल्य ओ पूर्वजक अथक परिश्रम , जकरा लेल ओ जुग- जुग धरि कठोर साधना कयने छलाह, ओ समाप्त भ जायत। एहि महत्वपूर्ण काजकेँ मिशन मिथिला नाम देल गेलअछि।मिशन मिथिलाकेँ गतिशीलता प्रदान करबाक उद्येश्यसँ वेबसाइट प्रारंभ कयल गेल अछि । वेबसाइट ओ मिथिला महान पत्रिकाक प्रबन्ध संपादक गोपाल प्रसाद मिशन मिथिला केर संयोजक सेहो छथि। भारतीय सभ्यता-संस्कॄतिमे मिथिलाक योगदान , मिथिलाक सर्वांगीण विकास , फ़राक मिथिला राज्यक प्रासंगिकता ओ बदलाबसँ जुड़ल कतेक अहम विषयवस्तु पर मिथिला मूलक विशेषज्ञ लोकनिकेँ विचारसँ बुझेनाइ हमर प्राथमिकता अछि ।देशक पिछड़ल राज्य बिहारक अति पिछड़ल प्रांत मिथिलामे विकासक संभावना ,उभरैत बिहारक मूल समस्या ,केन्द्र एवं राज्य सरकारक नीति आ ओकर प्रतिपादनक संगे- संग बिहारक नवनिर्माणमे जुटल वीर सभसँ परिचय करेनाइ हमर जिम्मेदारी अछि। दिल्ली केर पहिल उपराज्यपाल आदित्यनाथ झा मिथिला मूल केँ छ्लाह। राजनीतिक कारणे क्षेत्रक मधुरतम भाषा मैथिली ( एखन आठम अनुसूचीमे स्थान प्राप्त )केर संग उदासीन नीति सरकारी स्तर पर अपनाओल जा रहल अछि। दिल्ली केर बाद आब मुम्बई ओ कोलकातामे मैथिली अकादमी केर स्थापना, सभटा विश्वविद्यालयमे मैथिलीक पढौनी, पुस्तकालयमे पाठक लोकनिक लेल मैथिली पोथीक उपलब्धता सुनिश्चित करबाक हेतु जनजागरण ओ सार्थक पहल केनाइए एकर उद्येश्य अछि । मिथिलाक सांस्कॄतिक विरासत केर प्रचार-प्रसारक उद्येश्यक लेल वेबसाईट ओ मिथिला महान पत्रिका लेल अपनेक सहयोग आ समर्थनक आवश्यकता अछि।