शनिवार, 7 नवंबर 2009

हिंदी ,मैथिली , मिथिला , बिहार ओ मैथिल लोकनि सं अपेक्षा


हिंदी केर प्रचार - प्रसार ओ विकासक लेल केंद्रीय हिन्दी निदेशालय निरंतर प्रयासरत अछि| अपन विभिन्न महत्वपूर्ण योजना सभ आ कार्यक्रम सं हिन्दी कें वैश्विक धरातल पर प्रतिष्ठा दिलयबाक दिशामे सार्थक प्रयास क रहल अछि| निदेशालय द्वारा द्विभाषी, त्रिभाषी आ बहुभाषी कोष आ वार्तालाप पुस्तिका सभकें सीडी रूपमे पाठक लोकनि कें उपलब्ध कराओल गेल अछि |
अष्टम अनुसूचीमे शामिल प्रमुख भारतीय भाषा मैथिली सं सम्बंधित कोनो कार्यक्रम , मैथिली भाषी लोकनि कें हिन्दी सं जोड़वाक प्रक्रिया , हिन्दी-मैथिली-अंग्रेजी कोष वा हिन्दी मैथिली वार्तालाप पुस्तिका केर प्रकाशनक हमारा एखन धरि जानकारी नहि अछि| केंद्रीय हिन्दी निदेशालय द्वारा कोनो संविधान प्रदत्त भारतीय भाषाक प्रति सौतेला व्यवहार की न्यायोचित अछि?
हम माय सीताक जन्मभूमि मिथिला क्षेत्रक दरभंगा जिलाक निवासी छी| दिल्ली मे विगत १२ वर्ष सं बेसी काल सं पत्रकारिता ओ साहित्य सृजनक संगहि संग एकटा आईटी कम्पनी ''नर्मदा क्रिएटिव प्रा. लि. द्वारा प्रकाशित ऑनलाइन हिन्दी मासिक पत्रिका "समय दर्पण " केर संपादकक रूपमे कार्यरत छी| पटना सं प्रकाशित मैथिली त्रैमासिक पत्रिका ' मिथिला महान " केर प्रबंध संपादकक रूप में सेहो योगदान देने छलहुँ | ओहि कालक्रम में प्रमुख लेखक/ कवि लोकनिक रचनाक संग -संग भारतीय सांस्कृतिक सम्बन्ध परिषद् सं प्रकाशित पत्रिका " गगनांचल" केर छ्टा आलेखक मैथिली अनुवाद सेहो कयलहुं |
" मिशन मिथिला " केर संयोजक केर रूप मे मिथिलाक सांस्कृतिक विरासतक संरक्षण -संवर्धन ओ मैथिली अस्मिताक भान करेनाई ओ जागरूकताक अभियान में प्रयासरत छी| किछु काल पूर्व मिशन मिथिलाक दिस सं केंद्रीय हिन्दी निदेशालय (दिल्ली ) , भारतीय भाषा संस्थान ( मैसूर), साहित्य अकादेमी आ मैथिली -भोजपुरी अकादेमी कें कएकटा मांग पत्र पठाओल गेल | मीडिया में सेहो काले काल मैथिली ओ मिथिलाक विकासक लेल प्रखर स्वर अनुगूंजित कयल गेल |
बिहार सरकार मैथिली क विकासमे बाधा उत्पन्न क रहल अछि | इंटरमीडीएटमे पहिने अनिवार्य भाषा क रूप मे मैथिली कें स्थान नहि भेटल मुदा बाद मे ऐच्छिक बिषय केर रूप मे शामिलकय एकर महत्त्व के समाप्त करबाक कुचक्र रचल गेल, जाहि सं अधिकांश छात्र मैथिली क पढाई सं बिमुख भ गेल| ग्याराहमक लेल सरकार द्वारा निर्धारित पोथीक जे नाम देल गेल ओकर प्रकाशन परीक्षा होयबाक मात्र तीन दिन पहिने बाजार मे उपलब्ध भेल जाहि सं बेसी कठिनाई भेल आ मैथिली विषय के घोर आघात लागल | बारहवीं क लेल "तिलकोर भाग-२" केर प्रकाशन सेहो बड्ड बाद मे भेल |इ पोथी नहि त छात्र लोकनि देखलक आ नहि त शिक्षक लोकनि देखलनि कियक त पोथी छपले नहि छल | फरवरी मे एकर परीक्षा भेल आ तखन इ पोथी बाजार मे उपलब्ध भेल | सम्पूर्ण बर्ष बीत गेल , फॉर्म भरल जा चुकल छल मुदा पोथी नहि रहबाक कारणे महाविद्यालय मे एकर पढौनी नहि भेल| एकरा संगे दोसरो पोथी जुडल अछि | बी. पी. एस. सी. पाठ्यक्रम सेहो मैथिलीक लेल उपयुक्त नहि अछि , जाहि मादे प्रश्नकर्ता आ छात्र दुनू के असुविधा भ रहल अछि | राजकमल चौधरी क " ललका पाग " छात्र लोकनि मात्र एकटा कथा ललका पाग पढ़य वा सम्पूर्ण पोथी पढ़य , एकर जिक्र कतहु नहि अछि | पोथीक उपलब्धताक कमी पूर्ण करबामे मैथिली अकादेमी ,साहित्य अकादेमी सक्षम नहि अछि |
यू. पी. एस . सी सेहो उटपटंगे अछि | महाकाव्य सम्पूर्ण होयबाक चाही | मात्र दत्तवती क दू टा सर्ग देबाक की तुक अछि ? जखन की एकर पाठ्यक्रम स्नातकोत्तर स्तरक होयबाक चाही , तीन चारिटा महाकाव्यक नाम होयबाक चाही , जाहि सं विद्यार्थी लोकनि कें छूट भेटय| बड्ड रास उच्च स्तरीय रचनाकार लोकनि कें स्थान नहि भेटल अछि , जकर पुर्नावलोकन अत्यावश्यक अछि |
यू.जी.सी., यू.पी.एस.सी. कें चाही जे सभ विश्वविद्यालय सभ सं मैथिली क शिक्षकक सूची उपलब्ध होबय जाहि सं बिषय सं सम्बंधित समस्या सभक त्वरित निदान भ सकय | स्नातक प्रथम सत्र मे कला, विज्ञान, वाणिज्य संकाय मे नीता झा केर कथा "बाय -बाय अंकल " कें स्थान द क देवशंकर नवीनक संपादकत्व मे एन.बी.टी. द्वारा प्रकाशित एक सय पचीस टाकाक दू टा पोथी पचास अंकक पढाई लेल बोझ डालल गेल एकर कियो विकल्प नहि देल गेल| प्रतिष्ठाक स्तर पर स्नातकोत्तर स्तरक पोथी राखल गेल अछि जखन की अन्य लेखक लोकनिक उच्च कोटिक पोथी उपलब्ध छल |
इग्नू, बी.पी.एस.सी., यू.पी.एस.सी., साहित्य अकादेमी , भारतीय भाषा संस्थान आ यू.जी.सी. केर मैथिलीक कमिटीमे एकटा विशेष कॉकस हाबी अछि | नाम गिनल चुनल अछि - भीमनाथ झा ,नीता झा , अमरजी, रामदेव झा , विद्यानाथ झा विदित, वीणा ठाकुर, अमरनाथ, विभूति आनंद, रमण झा | की ब्रह्मण वर्ग के अतिरिक्त मैथिली मे विद्वान् नहि अछि? दिल्ली केर मैथिली - भोजपुरी अकादेमी सेहो काईस्तवाद मे जकरल अछि| की ऐना मे मैथिली केर सर्वांगीण विकास होयत? प्रश्न इ अछि जे एकरामे कालक्रम अनुसार परिवर्तन कियक नहीं होयत अछि ? एहि लेल मैथिली सं जुडल सभ लोकनि कें जागय पडत |सभ सं नीक होयत जे मैथिलीक शिक्षा देनिहार वा जुडल सभ टा सरकारी वा गैरसरकारी संस्था ऑनलाइन भ जाय , कियक त जखन धरि मैथिली ,नव तकनीक इन्टरनेट सं नहीं जुड़त ओकर चुनौती बढ़बे करत | एहि लेल मैथिल संस्था सभ कें पुरान शैलीक स्थान पर नव राह पर चलय पडत|
(लेखक "मिशन मिथिला " केर संयोजक आ ऑनलाइन हिंदी मासिक पत्रिका "समय दर्पण " केर संपादक छथि) gopal.eshakti@gmail.com, Mob: 09211309569

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें