सोमवार, 3 मई 2010

मनुखक पहचान

की इ नहि अछि अज्ञान? जे कएक बेर लोक करैत अछि
मनुखक, किछु एहि तरहे पहचान ---
की जखन एकरा दिअड आश्रय, तऽ खुशामद बुझैत अछि
जखन एकर करू उप्कार, तऽ खुशामद बुझैत अछि
जखन एकरा दिअड उपदेश, तऽ मुँह फेरैत अछि
जखन एकर करू आदर, तऽ अस्वीकार करैत अछि
जखन एहि पर करू विश्‍वास, तऽ अस्वीकार करैत अछि
जखन एहि पर करू विश्‍वास, तऽ विश्‍वासघात करैत अछि
जतय देखैत स्वसुख, ओकरे लेल संग्राम करैत अछि
जखन दुखक काल अछि अबैत, तऽ बहाना ढुँढ़ैत अछि
जखन एकरासड करू प्यार तऽ आघात करैत अछि
जखने होबय स्वार्थपूर्त्ति, तऽ छोड़ि चलि जायत अछि
मोनमे राखल अरमान के तोड़ि चलि जायत अछि
मुदा बंधु, इ कियक नहि बुझैत छी जे ईएह मनुख
जीवैत अछि, किछु एहि तरहे पहचान
जे इ मनुत्व, जे अछि मनु केर संतान
मानवता-कल्याणक लेल जाहिमे अछि अटल अभियान
कएक वर्ष सँ भेटल धरोहर, जाहि पर अछि बड्‌ड गुमान
कोना अहिना हेरा सकैत अछि निज तनमे रहैत प्राण
मनुख, मनुखक, जे करय सतत सम्मान
तऽ बढि जाय ओकर, मानवताक पहचान
जदि नीक होवय उदेश्य, लक्ष्य प्राप्ति होवय अरमान
तऽ सतत्‌ परिश्रमसँ, होवय कठिन काज आसान
ईश्‍वर होथु सहाय, मंगलमय होवय जन-गण-मन
अपन सत्कर्मसँ, नित्य निखारू जन-जीवन ।

शनिवार, 2 जनवरी 2010

फराक मिथिला राज्यक गठन कियक नहि ?



जखन पृथक तेलंगाना राज्यक गठन भ सकैत अछि त फराक मिथिला राज्यक गठन कियक नहि? मिथिलांचल के पूर्ण न्याय एखन धरि कोनो उद्योग एही क्षेत्र में प्रारंभ नहि कायल गेल अछि | सभ क्षेत्र में मिथिलांचल केर घोर उपेक्षा भ रहल अछि | केंद्र सरकार ओ बिहार सरकार एखन धरि कोनो उद्योग एही क्षेत्र में प्रारंभ नहि कायल गेल अछि, जाहिसँ एही क्षेत्रक लोक पलायन लेल मजबूर अछि | असमान विकासक करने दशक पिछरल राज्य बिहार में मिथिला अति पिछरा क्षेत्र बनि क रही गेल अछि | बिहार सरकार केर ध्यान मात्र पटना आ नालंदा के विकसित केनाई रहि गेल अछि | मिथिला मे पर्यटन ओ खाद्य प्रसंस्करण केर भरपूर संभावना केर बाबजूदो मिथिलाक संग नकारात्मक रवैया अपनओल जा रहल अछि| एही क्षेत्रक भाषा मैथिली आ मैथिली अकादेमी अपन अस्तित्व हेतु संघर्ष क रहल अछि | बिहार सरकार केर युवा महोत्सव आ दिल्ली केर प्रगति मैदान स्थित बिहार पवेलियन मे आईआईटीएफ केर दौरान आहूत सांस्कृतिक कार्यक्रम मे मैथिली केर घोर उपेक्षा कयल गेल | जाहिसँ सरकार केर नीति ओ नीयत मिथिलावासी लोकनि कें समझ मे आबी गेल अछि | एहि सभ समस्याक निदान केर एकमात्र विकल्प फराक मिथिला राज्य अछि | बिहार सरकार प्रवासी बिहारी लोकनि केर सुरक्षा , रोजगार आ न्याय दिलयबमे पूर्ण तरहे विफल रहल अछि आ एकर आ एकर ज्यादातर शिकार मिथिलाक लोक सभ रहल अछि | महाराष्ट्र , दिल्ली आ पंजाब केर बाद मध्यप्रदेशक राजनेता लोकनि सेहो बिहारी लोकनिक संग असंवैधानिक रूख अप्नौलानी आ बिहार सरकार मात्र बयां डी क अपन कर्त्तव्य केर इतिश्री क लेलनी | बिहार सरकार केर योजना विभाग , केद्र सरकार केर योजना विभाग मे बिहार टास्क फ़ोर्स आ बिहार फौन्डेसन केर बाबजूद मिथिला क बिहार मे पर्याप्त तवज्जो कियक नहि भेटल? आधारभूत संरचनाक विस्तारक बिना मिथिला कटल कटल जका अछि | पूर्व लोक सभा अध्यक्ष पी . ए .संगमा केर ओ बयान स्वागत योग्य अछि जाहिमे ओ कहने छलाह जे " क्षेत्रवाद - नक्सलवाद असमानता केर उपज अछि जाहिसँ छोट राज्य केर गठन क दूर कयल जा सकैत अछि " मिथिलाक लोकनि बाढ़ झेलय आ विकासक धारा अन्य क्षेत्र मे बहे ई नहि चालत आई भारत केर समस्त मिथिला वासी लोकनि के एकरा लेल आन्दोलन करय परत फराक मिथिला राज्य लेल अंतर राष्ट्रीय मथिली परिषद् द्वारा कानपूर मे २३ - २४ दिसंबर के मिथिलाक बुद्धिजीवी, स्वैक्षिक संगठन केर सम्मलेन भेल जाही मे आंदोलनक दशा दिशा तय कयल गेल|एहि वास्ते दिल्ली केर जंतर मंतर पर सेहो धरना देल गेल जाकर पूर्ण समर्थन भेटल|
-गोपाल प्रसाद
gopal.eshakti@gmail.com
mob: 9289723145

प्रबोध सम्मान २०१० जीवकान्तकेँ भेटलन्हि

एहि बेरुका पुरस्कार चयन प्रक्रियामे २१ गोटेक शुरुआती दौड़मे छलाह। पहिल बेरमे ७ गोटे बहार भेलाह (लेबल १), दोसर बेर आठ गोटे बहार भेलाह (लेबल २), तेसर दौड़मे मात्र छह गोटे बचलाह (लेबल ३)। ओहि छह गोटेक क्रम एहि प्रकारसँ रहल:-
जीवकान्त: ४८ अंक
सोमदेव: २२ अंक
भीमनाथ झा: १७ अंक
रमानन्द रेणु: १७ अंक
चन्द्रभानु सिंह: १२ अंक
चन्द्रनाथ मिश्र अमर: १२ अंक

जज एहि प्रकारेँ रहथि:
एल-१- १०/१०
एल.२- ९/१०
एल.३- १०/१०

सभ मिला कऽ २९/३० जज जाहिमे २६ गोट जज रिपीट नहि छलाह, माने २६ विभिन्न गोटे जज छलाह।

सभटा वोट एहि तरहेँ रहल:

३०*३=९० आ ३०*२=६० आ ३०*१=३० = १८०

वोट छह टा कम माने १७४ टा देल गेल, जाहिमे छह गोटे जे ऊपरमे रहलथि हुनका एहि मे सँ १३१ टा वोट भेटलन्हि।
जीवकान्तकेँ १७४ मे ४८ वोट भेटलन्हि-२७.५९% ( संगहि १३१ मे सँ ४८ भेल- ३६.६४%)

अंतिम लेबलमे दसमे सँ आठटा जज हुनका पहिल वोट देलन्हि।

जीवकान्तजीकेँ बधाई।

जीवकान्त- (१९३६- )
पूर्ण नाम- जीवकान्त झा
पिता-गुणानन्द झा, माता-महेश्वरी देवी, जन्म तिथि-२५.०७.१९३६ स्थान अभुआढ़, जिला-सुपौल
शिक्षा-मैट्रिक (१९५५ उ.वि.डेवढ़), आइ.एस.सी. (१९५७ आर.के.कॉलेज, मधुबनी), बी.ए. (१९६४ बिहार वि.वि.स्वतंत्र छात्र), डिप.इन.एड.(१९६९ मिथिला वि.वि.)
नौकरी-उच्च विद्यालयमे सहायक शिक्षक। विज्ञान शिक्षक (उ.वि.खजौली १९५७-८१), हिन्दी शिक्षक (उ.वि.डेओढ़ एवं उ.वि.पोखराम १९८१-९८)
पहिल रचना-इजोड़िया आ टिटही (कविता, जनवरी १९६५ मिथिला मिहिर)
पहिल छपल पोथी- दू कुहेसक बाट (उपन्यास १९६८)
नवीनतम पोथी-खिखिरक बीअरि (२००७ बाल पद्य कथा), अठन्नी खसलइ वनमे (पद्य-कथा संग्रह) आ पंजरि प्रेम प्रकासिया (जीवन-वृत्तक अंश) प्रेसमे
पुरस्कार-साहित्य अकादेमी (दिल्ली १९९८), किरण सम्मान (१९९८), वैदेही सम्मान (१९८५)
प्रकाशित पोथी-
कविता संग्रह:
नाचू हे पृथ्वी (७१), धार नहि होइछ मुक्त (९१), तकैत अछि चिड़ै (९५), खाँड़ो (१९९६), पानिमे जोगने अछि बस्ती (९८), फुनगी नीलाकाशमे (२०००), गाछ झूल-झूल (२००४), छाह सोहाओन (२००६), खिखिरिक बीअरि (२००७)
कथा-संग्रह:
एकसरि ठाढ़ि कदम तर रे (७२), सूर्य गलि रहल अछि (७५), वस्तु (८३), करमी झील (९८)
उपन्यास:
दू कुहेसक बाट(६८), पनिपत(७७), नहि, कतहु नहि (७६), पीयर गुलाब छल (७१), अगिनबान (८१)
हिन्दी अनुवाद- निशान्त की चिड़िया (हिन्दी अनुवाद-तकैत अछि चिड़ै, साहित्य अकादमी, दिल्ली २००३)



प्रबोध सम्मान

प्रबोध सम्मान 2004- श्रीमति लिली रे (1933- )
प्रबोध सम्मान 2005- श्री महेन्द्र मलंगिया (1946- )
प्रबोध सम्मान 2006- श्री गोविन्द झा (1923- )
प्रबोध सम्मान 2007- श्री मायानन्द मिश्र (1934- )
प्रबोध सम्मान 2008- श्री मोहन भारद्वाज (1943- )
प्रबोध सम्मान 2009- श्री राजमोहन झा (1934- )
प्रबोध सम्मान 2010- श्री जीवकान्त (1934- )


साहित्य अकादेमी पुरस्कार- मैथिली

१९६६- यशोधर झा (मिथिला वैभव, दर्शन)
१९६८- यात्री (पत्रहीन नग्न गाछ, पद्य)
१९६९- उपेन्द्रनाथ झा “व्यास” (दू पत्र, उपन्यास)
१९७०- काशीकान्त मिश्र “मधुप” (राधा विरह, महाकाव्य)
१९७१- सुरेन्द्र झा “सुमन” (पयस्विनी, पद्य)
१९७३- ब्रजकिशोर वर्मा “मणिपद्म” (नैका बनिजारा, उपन्यास)
१९७५- गिरीन्द्र मोहन मिश्र (किछु देखल किछु सुनल, संस्मरण)
१९७६- वैद्यनाथ मल्लिक “विधु” (सीतायन, महाकाव्य)
१९७७- राजेश्वर झा (अवहट्ठ: उद्भव ओ विकास, समालोचना)
१९७८- उपेन्द्र ठाकुर “मोहन” (बाजि उठल मुरली, पद्य)
१९७९- तन्त्रनाथ झा (कृष्ण चरित, महाकाव्य)
१९८०- सुधांशु शेखर चौधरी (ई बतहा संसार, उपन्यास)
१९८१- मार्कण्डेय प्रवासी (अगस्त्यायिनी, महाकाव्य)
१९८२- लिली रे (मरीचिका, उपन्यास)
१९८३- चन्द्रनाथ मिश्र “अमर” (मैथिली पत्रकारिताक इतिहास)
१९८४- आरसी प्रसाद सिंह (सूर्यमुखी, पद्य)
१९८५- हरिमोहन झा (जीवन यात्रा, आत्मकथा)
१९८६- सुभद्र झा (नातिक पत्रक उत्तर, निबन्ध)
१९८७- उमानाथ झा (अतीत, कथा)
१९८८- मायानन्द मिश्र (मंत्रपुत्र, उपन्यास)
१९८९- काञ्चीनाथ झा “किरण” (पराशर, महाकाव्य)
१९९०- प्रभास कुमार चौधरी (प्रभासक कथा, कथा)
१९९१- रामदेव झा (पसिझैत पाथर, एकांकी)
१९९२- भीमनाथ झा (विविधा, निबन्ध)
१९९३- गोविन्द झा (सामाक पौती, कथा)
१९९४- गंगेश गुंजन (उचितवक्ता, कथा)
१९९५- जयमन्त मिश्र (कविता कुसुमांजलि, पद्य)
१९९६- राजमोहन झा (आइ काल्हि परसू)
१९९७- कीर्ति नारायण मिश्र (ध्वस्त होइत शान्तिस्तूप, पद्य)
१९९८- जीवकान्त (तकै अछि चिड़ै, पद्य)
१९९९- साकेतानन्द (गणनायक, कथा)
२०००- रमानन्द रेणु (कतेक रास बात, पद्य)
२००१- बबुआजी झा “अज्ञात” (प्रतिज्ञा पाण्डव, महाकाव्य)
२००२- सोमदेव (सहस्रमुखी चौक पर, पद्य)
२००३- नीरजा रेणु (ऋतम्भरा, कथा)
२००४- चन्द्रभानु सिंह (शकुन्तला, महाकाव्य)
२००५- विवेकानन्द ठाकुर (चानन घन गछिया, पद्य)
२००६- विभूति आनन्द (काठ, कथा)
२००७- प्रदीप बिहारी (सरोकार, कथा
२००८- मत्रेश्वर झा (कतेक डारि पर, आत्मकथा)
२००९- स्व.मनमोहन झा (गंगापुत्र, कथासंग्रह)

साहित्य अकादेमी मैथिली अनुवाद पुरस्कार

१९९२- शैलेन्द्र मोहन झा (शरतचन्द्र व्यक्ति आ कलाकार-सुबोधचन्द्र सेन, अंग्रेजी)
१९९३- गोविन्द झा (नेपाली साहित्यक इतिहास- कुमार प्रधान, अंग्रेजी)
१९९४- रामदेव झा (सगाइ- राजिन्दर सिंह बेदी, उर्दू)
१९९५- सुरेन्द्र झा “सुमन” (रवीन्द्र नाटकावली- रवीन्द्रनाथ टैगोर, बांग्ला)
१९९६- फजलुर रहमान हासमी (अबुलकलाम आजाद- अब्दुलकवी देसनवी, उर्दू)
१९९७- नवीन चौधरी (माटि मंगल- शिवराम कारंत, कन्नड़)
१९९८- चन्द्रनाथ मिश्र “अमर” (परशुरामक बीछल बेरायल कथा- राजशेखर बसु, बांग्ला)
१९९९- मुरारी मधुसूदन ठाकुर (आरोग्य निकेतन- ताराशंकर बंदोपाध्याय, बांग्ला)
२०००- डॉ. अमरेश पाठक, (तमस- भीष्म साहनी, हिन्दी)
२००१- सुरेश्वर झा (अन्तरिक्षमे विस्फोट- जयन्त विष्णु नार्लीकर, मराठी)
२००२- डॉ. प्रबोध नारायण सिंह (पतझड़क स्वर- कुर्तुल ऐन हैदर, उर्दू)
२००३- उपेन्द दोषी (कथा कहिनी- मनोज दास, उड़िया)
२००४- डॉ. प्रफुल्ल कुमार सिंह “मौन” (प्रेमचन्द की कहानी-प्रेमचन्द, हिन्दी)
२००५- डॉ. योगानन्द झा (बिहारक लोककथा- पी.सी.राय चौधरी, अंग्रेजी)
२००६- राजनन्द झा (कालबेला- समरेश मजुमदार, बांग्ला)
२००७- अनन्त बिहारी लाल दास “इन्दु” (युद्ध आ योद्धा-अगम सिंह गिरि, नेपाली)
२००८- ताराकान्त झा (संरचनावाद उत्तर-संरचनावाद एवं प्राच्य काव्यशास्त्र-गोपीचन्द नारंग, उर्दू)




यात्री-चेतना पुरस्कार


२००० ई.- पं.सुरेन्द्र झा “सुमन”, दरभंगा;
२००१ ई. - श्री सोमदेव, दरभंगा;
२००२ ई.- श्री महेन्द्र मलंगिया, मलंगिया;
२००३ ई.- श्री हंसराज, दरभंगा;
२००४ ई.- डॉ. श्रीमती शेफालिका वर्मा, पटना;
२००५ ई.-श्री उदय चन्द्र झा “विनोद”, रहिका, मधुबनी;
२००६ ई.-श्री गोपालजी झा गोपेश, मेंहथ, मधुबनी;
२००७ ई.-श्री आनन्द मोहन झा, भारद्वाज, नवानी, मधुबनी;
२००८ ई.-श्री मंत्रेश्वर झा, लालगंज,मधुबनी
२००९ ई.-श्री प्रेमशंकर सिंह, जोगियारा, दरभंगा


कीर्तिनारायण मिश्र साहित्य सम्मान


२००८ ई. - श्री हरेकृष्ण झाकेँ कविता संग्रह “एना त नहि जे”
२००९ ई.-श्री उदय नारायण सिंह “नचिकेता”केँ नाटक नो एण्ट्री: मा प्रविश